सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ में राजभाषा कार्यान्वयन की दिशा में हिंदी में कार्य करने के लिए भारत सरकार के राजभाषा विभाग से जारी वार्षिक कार्यक्रम-2024 -25 के अनुरूप निरंतर कार्य हो रहा है। संस्थान वैज्ञानिक उपलब्धियों का हिंदी में व्यापक प्रचार-प्रसार करके आमजन तक पहुँचाने हेतु कार्यशील है। संस्थान वैज्ञानिक कार्यों में हिंदी भाषा का प्रयोग बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है। संस्थान ने कार्यालयी कार्यों एवं पत्राचार में हिंदी भाषा के उपयोग हेतु निर्धारित लक्ष्य प्राप्त किए है। हिंदी के प्रचार- प्रसार एवं वैज्ञानिक ज्ञान वर्धन के उद्देश्य से संस्थान द्वारा हिंदी में प्रकाशित छमाही राजभाषा पत्रिका 'विषविज्ञान संदेश' का प्रकाशन निरंतर जारी है। 'विषविज्ञान संदेश' के विभिन्न अंक संस्थान की वेबसाइट एवं राजभाषा विभाग के ई- पत्रिका पुस्तकालय पर भी उपलब्ध हैं। इसके साथ-साथ जनजागरूकता के उद्देश्य से सुरक्षित पेयजल, स्वच्छ पर्यावरण, मानव स्वास्थ्य आदि पर विभिन्न विवरणिकाओं को हिंदी में प्रकाशित किया गया है। विवरणिकाओं को विभिन्न समारोहों/अवसरों पर छात्रों सहित आमजन को वितरित किया जाता है। इसके साथ-साथ कुछ दिन पूर्व में अभिविन्यास पुस्तिका (द्विभाषी) का एवं श्री अन्न(मोटे अनाज) से बनने वाले व्यंजन (मिलेट्स डिशेज़) पर भी एक पुस्तिका का प्रकाशन किया गया है। संस्थान ने समयबद्ध प्रयास के द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन के क्षेत्र में अनेक सफलताएं अर्जित की हैं। हिंदी पत्रिका के प्रकाशन हेतु माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, श्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने पत्र के माध्यम से प्रशंसा की है। दिनांक 14 सितंबर, 2021 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित हिंदी दिवस समारोह-2021 में श्री अमित शाह, माननीय गृह मंत्री, भारत सरकार मुख्य अतिथि और श्री नित्यानंद राय, माननीय गृह राज्य मंत्री, श्री अजय कुमार मिश्रा, माननीय गृह राज्य मंत्री एवं श्री निशिथ प्रामाणिक, माननीय गृह राज्य मंत्री विशिष्ट अतिथि की गरिमामयी उपस्थिति में संस्थान की राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश" को वर्ष 2019-2020 हेतु "राजभाषा कीर्ति पुरस्कार" के अन्तर्गत द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया गया। भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा संस्थान को राजभाषा में श्रेष्ठ कार्य निष्पादन हेतु वर्ष : 2020-21 एवं 2021-2022 एवं 2022-23 में प्रथम पुरस्कार प्रदान किएगए हैं। यह पुरस्कार उत्तर क्षेत्र-2 (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड) स्थित “क” क्षेत्र में केंद्रीय सरकार के कार्यालयों की श्रेणी में (50 से अधिक स्टाफ की संख्या वाले) हैं। वर्ष 2022-23 का पुरस्कार उत्तरी क्षेत्रों के संयुक्त राजभाषा सम्मेलन, जोधपुर, राजस्थान (28 दिसम्बर 2023) में प्रदान किया गया। राजस्थान के माननीय राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा पुरस्कार हेतु डॉ. वी. पी. शर्मा, मुख्य वैज्ञानिक व राजभाषा अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर को शील्ड प्रदान की गई एवं माननीय केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा द्वारा उत्तम कुमार झा, प्रशासनिक अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर को प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के अंतर्गत नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ की ओर से भी संस्थान को राजभाषा कार्यान्वयन एवं छमाही राजभाषा पत्रिका “विषविज्ञान संदेश” हेतु अनेक बार प्रथम एवं द्वितीय अथवा तृतीय पुरस्कार दिए गए हैं। उपर्युक्त के साथ-साथ संस्थान अधिकाधिक कार्य हिंदी में करने एवं वैज्ञानिक जानकारी को हिंदी में उपलब्ध कराने हेतु निरंतर प्रयासरत है।
अद्यतन सूचनाएं
सीएसआईआर-आईआईटीआर को राजभाषा कार्यान्वयन हेतु मिला प्रथम पुरस्कार
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान को अप्रैल से सितंबर, 2024 की छमाही के दौरान राजभाषा के प्रयोग में उत्कृष्ट कार्य हेतु प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह पुरस्कार राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में आयोजित नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ में अर्धवार्षिक बैठक में प्रदान किया गया।
डॉ. वी.पी. शर्मा, मुख्य वैज्ञानिक, श्री शुभांग मिश्रा, श्री कलीम, एवं श्री राम बिलास ने सीएसआईआर-आईआईटीआर की ओर से यह पुरस्कार प्राप्त किया।
अपने सम्बोधन के दौरान डॉ. वी.पी. शर्मा, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने बताया कि संस्थान द्वारा वर्ष-2024-25 को हीरक जयंती वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आईआईटीआर में विश्व पर्यावरण दिवस के दौरान तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी का हिंदी माध्यम में आयोजन किया गया था। संस्थान विज्ञान से जुड़े नवीन विचारों को हिंदी भाषा में जनसमान्य तक पहुँचाने हेतु निरंतर प्रयासरत है, साथ ही आम जनमानस हेतु अपने अनुसंधान से संबंधित सूचना/जानकारी को अनिवार्य रूप से संस्थान की छमाही राजभाषा पत्रिका विषविज्ञान संदेश में हिंदी में प्रकाशित करता है।
इस दौरान संस्थान को छमाही अवधि के दौरान हिंदी में कार्यशाला आयोजित करने हेतु प्रशस्ति पत्र भी प्राप्त हुआ।
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हिंदी पखवाड़ा-2024 के मुख्य समारोह/ पुरस्कार वितरण समारोह
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ में 27 सितंबर 2024 को सायं 04:00 बजे सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह-2024 एवं हिंदी पखवाड़ा-2024 के मुख्य समारोह/ पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. रवि कुमार सिंह, आई एफ़ एस, वन संरक्षक (कंजर्वेटर ऑफ फारेस्ट), वाराणसी मुख्य अतिथि थे एवं डॉ. विद्या विंदु सिंह,‘पद्मश्री’ विशिष्ट अतिथि थीं।
इस दौरान संस्थान में हिंदी टंकण, टिप्पण मसौदा एवं पत्र लेखन, लेख, प्रश्नोत्तरी, हिंदीतर भाषी का हिंदी ज्ञान, वाद-विवाद, प्रस्तुतीकरण, आशुभाषण पेंटिंग प्रतियोगिताओं सहित अन्य का आयोजन किया गया। जिसमें सभी ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। सभी विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त हिंदी में कार्य करने के लिए प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत 10 पुरस्कार प्रदान किए गए ।
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भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग के अंतर्गत नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ की छमाही बैठक दिनांक 25.06.2024 के दौरान संस्थान को राजभाषा के प्रयोग में उत्कृष्ट कार्य हेतु तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
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दिनांक 28-12-2023 को राजभाषा कार्यान्वयन हेतु क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कार के अंतर्गत संस्थान को लगातार तीसरी बार (वर्ष:2022-23 हेतु) भी प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।यह पुरस्कार उत्तर क्षेत्र-2 (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड) स्थित “क” क्षेत्र में केंद्रीय सरकार के कार्यालयों की श्रेणी में (50 से अधिक स्टाफ की संख्या वाले) है। पुरस्कार भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा प्रदान किया गया है। उत्तर-1 एवं उत्तर-2 क्षेत्रों के संयुक्त राजभाषा सम्मेलन, जोधपुर, राजस्थान (28 दिसम्बर 2023) के पुरस्कार वितरण समारोह में राजस्थान के माननीय राज्यपाल श्री कलराज मिश्र द्वारा पुरस्कार हेतु डॉ. वी. पी. शर्मा, मुख्य वैज्ञानिक व राजभाषा अधिकारी को शील्ड प्रदान की गई एवं माननीय केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा द्वारा उत्तम कुमार झा, प्रशासनिक अधिकारी को प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
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हिंदी पखवाड़ा (14-29 सितंबर, 2023)
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ में 14-29 सितंबर, 2023 के दौरान हिंदी पखवाड़ा का आयोजन किया गया। हिंदी दिवस के आयोजन का शुभारंभ पुणे, महाराष्ट्र में हुआ। 14 व 15 सितंबर, 2023 को पुणे, महाराष्ट्र में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह-2023 एवं तृतीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में डॉ. योगेश्वर शुक्ला, मुख्य वैज्ञानिक व राजभाषा अधिकारी, श्री उत्तम कुमार झा, प्रशासनिक अधिकारी, श्री चन्द्र मोहन तिवारी, परामर्शदाता (भूतपूर्व हिन्दी अधिकारी) एवं श्री कलीमुद्दीन, वरिष्ठ तकनीशियन ने संस्थान की ओर से प्रतिभागिता किया। हिन्दी पखवाड़ा-2023 के दौरान संस्थान में विभिन्न हिन्दी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमे लेख, प्रश्नोत्तरी, टिप्पण, मसौदा एवं पत्र लेखन, वाद-विवाद, प्रस्तुतीकरण, हिन्दी टंकण, आशुभाषण, पेंटिंग प्रतियोगिता आदि प्रतियोगिताएं हुई। इन प्रतियोगिताओं में संस्थान के कार्मिकों, शोध छात्रों आदि ने बढ़-चढ़ कर प्रतिभागिता किया। पखवाड़े के दौरान 27 सितम्बर, 2023 को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पाँच कवयित्री/कवियों को आमंत्रित किया गया। कवि सम्मेलन में वीर रस, हास्य-व्यंग सहित अनेक विधा के कवियों ने भाग लिया।
मुख्य समारोह/पुरस्कार वितरण समारोह दिनांक 29 सितंबर, 2023 को अपराह्न 04:00 बजे हिंदी पखवाड़ा-2023 के मुख्य समारोह/पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि श्री कनिष्क शर्मा, आई.एफ.एस., क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश थे। मुख्य अतिथि महोदय ने अपने संबोधन में कहा कि सीएसआईआर-आईआईटीआर अपने आधुनिक विषविज्ञान अनुसंधान कार्यों को हिंदी भाषा के माध्यम से आम जन तक पहुँचा रहा है यह हर्ष की बात है। इस अवसर पर डॉ. भास्कर नारायण, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि हम अपने अनुसंधान कार्यों को हिंदी भाषा के माध्यम से आमजन तक निरंतर पहुँचाते रहते हैं। माननीय संसदीय राजभाषा समिति ने हमारे संस्थान की छमाही राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश" के अंक-38 और हमारे संस्थान और आईएचएम द्वारा तैयार की गई " अन्नश्री (मिलेट) बुक" का विमोचन किया। यह हमारे संस्थान के लिए गौरव की बात है। उन्होंने आगे कहा कि हमें हिंदी को निरंतर समृद्ध करते रहना चाहिए। इसके साथ ही उन्होने हिंदी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने हेतु कार्मिकों व छात्रों का उत्साहवर्धन किया व हिंदी – पखवाड़ा के सफल आयोजन पर सभी को शुभकामनाएँ दीं। समारोह के अंत में हिंदी-पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके साथ ही हिंदी में कार्य करने के लिए प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत संस्थान के कार्मिकों को 11 पुरस्कार प्रदान किए गए।
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संस्थान की राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश- अंक-39" को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह पुरस्कार भारत सरकार,गृह मंत्रालय,राजभाषा विभाग के अंतर्गत नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3),लखनऊ की छमाही बैठक दिनांक 21.11.2023 में प्रदान किया गया है।
संस्थान को राजभाषा कार्यान्वयन हेतु चतुर्थ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह पुरस्कार भारत सरकार,गृह मंत्रालय,राजभाषा विभाग के अंतर्गत नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3),लखनऊ की छमाही बैठक दिनांक 21.11.2023 में प्रदान किया गया है। |
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कार्यालय-3, लखनऊ की छमाही बैठक दिनांक 28.06.2023 में संस्थान की राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश" के अंक-38 को प्रथम पुरस्कार एवं कार्यालयी कार्यों हेतु चतुर्थ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह पुरस्कार 71 सदस्य कार्यालयों के राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी कार्य के मूल्यांकन के आधार पर प्रदान किए गए हैं।
नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ की छमाही बैठक के अवसर पर संस्थान की छमाही राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश" के अंक-38 हेतुप्रथम पुरस्कार प्राप्त करते हुए संस्थान के निदेशक, डॉ. भास्कार नारायण एवं अन्य सहकर्मी |
माननीय संसदीय राजभाषा समिति द्वारा दिनांक 22-06-2023 की बैठक में सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ का राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी निरीक्षण किया गया। निरीक्षण बैठक में सीएसआईआर मुख्यालय तथा डीएसआईआर के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। इस अवसर पर माननीय संसदीय राजभाषा समिति ने संस्थान की छमाही राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश" के अंक-38 और "मिलेट बुक" का विमोचन किया। साथ ही संस्थान की द्विभाषी इंट्रानेट वेबसाइट को भी जारी किया। माननीय संसदीय राजभाषा समिति ने संस्थान में राजभाषा कार्यान्वयन में उत्तमरोत्तर प्रगति की भूरि-भूरि प्रशंसा किया और आशा व्य्क्त किया कि भविष्य में भी इसी प्रकार प्रयास जारी रहेगा।
माननीय संसदीय राजभाषा समिति की दूसरी उप समिति द्वारा संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग में संस्थाान द्वारा की गई प्रगति के निरीक्षण के उपरान्तमाननीय समिति से प्रमाणपत्र प्राप्तन करते हुए संस्थाषन के निदेशक, डॉ. भास्कर नारायण |
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ को राजभाषा में श्रेष्ठ कार्य निष्पादन के लिए वर्ष 2020-21 एवं 2021-2022 हेतु प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुए हैं । यह पुरस्कार भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा उत्तर 1 तथा उत्तर 2 क्षेत्रों के संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह (03 नवम्बर, 2022), दशमेश ऑडिटोरियम, गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर (पंजाब) में प्रदान किए गए। पुरस्कार के लिए शील्ड एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुए हैं। सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में संस्थान की ओर से श्री उत्तम कुमार झा, प्रशासनिक अधिकारी एवं श्री चन्द्र मोहन तिवारी, हिंदी अधिकारी ने प्रतिभागिता किया एवं संस्थान को प्राप्त पुरस्कार ग्रहण किया। भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा राजभाषा पुरस्कारों के अंतर्गत उत्तर-2 क्षेत्र (उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड) में 50 से अधिक स्टाफ़ की संख्या वाले कार्यालयों में क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कार के अंतर्गत प्रदान किए गए हैं।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ की ऑनलाइन छमाही बैठक दिनांक 08.06.2022 में संस्थान की राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश- अंक-36" को प्रथम पुरस्कार एवं संस्थान को कार्यालयी कार्यों हेतु चतुर्थ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। प्रोफेसर एस.के. बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर; श्री उत्तम कुमार झा, प्रशासनिक अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर; एवं श्री चन्द्र मोहन तिवारी, हिंदी अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने बैठक में भाग लिया।
संस्थान में 21 फरवरी, 2022 को "अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस" का ऑनलाइन आयोजन किया गया। डॉ. ए.डी. पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ समारोह के मुख्य अतिथि थे और प्रोफेसर एस.के. बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने समारोह की अध्यक्षता की। समारोह की रिपोर्ट के लिए क्लिक करें
संस्थान में 10 जनवरी, 2022 को "विश्व हिंदी दिवस" का ऑनलाइन आयोजन किया गया। प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, लखनऊ विश्वआविद्यालय समारोह के मुख्य अतिथि थे और प्रोफेसर एस.के. बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने समारोह की अध्यक्षता की। समारोह की रिपोर्ट के लिए क्लिक करें
संस्थान द्वारा "वैज्ञानिक शब्दकोश: विष विज्ञान एवं संबद्ध विज्ञान" (अंग्रेजी-हिंदी) वैज्ञानिक शब्दकोश का प्रकाशन विषविज्ञान एवं सम्बद्ध विज्ञान के शब्दों के बारे में लोगों को जानकारी देने के उद्देश्य से किया गया है। इस शब्दकोश से हिंदी में वैज्ञानिक लेखन, शोध पत्र, अनुवाद के कार्य में काफी सहायता मिलेगी। इस शब्दकोश में विषविज्ञान एवं सम्बद्ध विज्ञान विषयों के शब्दों के साथ-साथ सामान्यत: प्रयोग होने वाले शब्दो का भी समावेश किया गया है। विज्ञान का राजभाषा में प्रचार-प्रसार करने में यह शब्दकोश सहायक होगा। साथ ही लोगों को सरल हिंदी भाषा में वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की जुलाई-सितंबर, 2021-22 की अवधि की तिमाही बैठक दिनांक 24.12.2021 को निदेशक महोदय की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में दिनांक 14 सितंबर, 2021 को हिंदी सप्ताह के उद्घाटन समारोह का ऑनलाइन आयोजन किया गया।
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की अप्रैल-जून, 2021-22 की अवधि की तिमाही बैठक दिनांक 31.08.2021 को निदेशक महोदय की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की जनवरी-मार्च, 2020-21 की अवधि की तिमाही बैठक दिनांक 07.06.2021 को निदेशक महोदय की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
दिनांक 24.06.2021 को सामान्य अनुभाग के कर्मियों हेतु "हिंदी में डिजिटल टूल्स का प्रयोग और राजभाषा कार्यान्वयन" पर एक कार्य दिवस की प्रशिक्षण एवं अभ्यास कार्यशाला आई.टी. प्रभाग द्वारा आयोजित की गई। साथ ही कंप्यूटर पर हिंदी के प्रयोग के लिए उपलब्ध तकनीकी सुविधाओं से भी अवगत कराया गया।
भारत सरकार, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3) की छमाही बैठक दिनांक 30.06.2021 में अक्टूबर-मार्च, 2020-21 छमाही की अवधि में कार्यालयी कार्यों में उत्कृ्ष्ट प्रदर्शन का द्वितीय पुरस्कार की शील्ड और प्रमाणपत्र संस्थान को प्राप्त हुआ।
हिंदी पखवाड़ा - 2022 के मुख्य समारोह/पुरस्कार वितरण समारोह में डॉ. भास्कर नारायण, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने सभा को संबोधित किया
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पुरस्कार
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कार्यालय-3, लखनऊ की छमाही बैठक दिनांक 28.06.2023 में संस्थान की राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश" के अंक-38 को प्रथम पुरस्कार एवं कार्यालयी कार्यों हेतु चतुर्थ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह पुरस्कार 71 सदस्य कार्यालयों के राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी कार्य के मूल्यांकन के आधार पर प्रदान किए गए हैं।
संस्थान की राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश- अंक-37" को तृतीय पुरस्कार एवं कार्यालयी कार्यों हेतु तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह पुरस्कार भारत सरकार,गृह मंत्रालय,राजभाषा विभाग के अंतर्गत नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3),लखनऊ की ऑनलाइन छमाही बैठक दिनांक 26.12.2022 में प्रदान किया गया है।
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ को राजभाषा में श्रेष्ठ कार्य निष्पादन के लिए वर्ष 2020-21 एवं 2021-2022 हेतु प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुए हैं । यह पुरस्कार भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा उत्तर 1 तथा उत्तर 2 क्षेत्रों के संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह (03 नवम्बर, 2022), दशमेश ऑडिटोरियम, गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर (पंजाब) में प्रदान किए गए। पुरस्कार के लिए शील्ड एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुए हैं। सम्मेलन एवं पुरस्कार वितरण समारोह में संस्थान की ओर से श्री उत्तम कुमार झा, प्रशासनिक अधिकारी एवं श्री चन्द्र मोहन तिवारी, हिंदी अधिकारी ने प्रतिभागिता किया एवं संस्थान को प्राप्त पुरस्कार ग्रहण किया। भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा राजभाषा पुरस्कारों के अंतर्गत उत्तर-2 क्षेत्र (उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड) में 50 से अधिक स्टाफ़ की संख्या वाले कार्यालयों में क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कार के अंतर्गत प्रदान किए गए हैं।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ की ऑनलाइन छमाही बैठक दिनांक 08.06.2022 में संस्थान की राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश- अंक-36" को प्रथम पुरस्कार एवं संस्थान को कार्यालयी कार्यों हेतु चतुर्थ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। प्रोफेसर एस.के. बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर; श्री उत्तम कुमार झा, प्रशासनिक अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर; एवं श्री चन्द्र मोहन तिवारी, हिंदी अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।
संस्थान को राजभाषा में श्रेष्ठ कार्य निष्पादन के लिए वर्ष 2019-20 के लिए द्वितीय पुरस्कार एवं वर्ष 2018-19 के लिए तृतीय पुरस्कार के लिए शील्ड एवं प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुआ है। दिनांक 27 नवंबर, 2021 को भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा कानपुर में आयोजित उत्तरी क्षेत्रों के क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में माननीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानन्द राय और माननीय गृह राज्य मंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा ने पुरस्कार प्रदान किया। संस्थान की ओर से डॉ. वी.पी.शर्मा, मुख्य वैज्ञानिक तथा श्री चन्द्र मोहन तिवारी, हिंदी अधिकारी ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।
विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित हिंदी दिवस समारोह-2021 में संस्थान की राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश" को वर्ष 2019-2020 के लिए "राजभाषा कीर्ति पुरस्कार" के अन्तर्गत द्वितीय पुरस्कार दिनांक 14 सितंबर, 2021 को प्रदान किया गया। इस अवसर पर श्री अमित शाह, माननीय गृह मंत्री, भारत सरकार मुख्य अतिथि और श्री नित्यानंद राय, माननीय गृह राज्य मंत्री, श्री अजय कुमार मिश्रा, माननीय गृह राज्य मंत्री एवं श्री निशिथ प्रामाणिक, माननीय गृह राज्य मंत्री विशिष्ट अतिथि थे। संस्थान के निदेशक, प्रोफेसर एस.के. बारिक ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा वर्ष 2018-19 के लिए क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कारों के अंतर्गत 50 से अधिक स्टाफ़ की संख्या वाले लगभग तीन हज़ार कार्यालयों में उत्तर-2 क्षेत्र (उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड) में "तृतीय" पुरस्कार संस्थान को दिया गया।
भारत सरकार, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3) की छमाही बैठक दिनांक 25.08.2020 में अक्टूबर-मार्च, 2019-20 छमाही की अवधि में कार्यालयी कार्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के प्रथम पुरस्का्र की शील्ड और प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग से गृह पत्रिकाओं के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना वर्ष 2019-20 में "क" क्षेत्र के लिए द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है, जो संस्थान से प्रकाशित "विषविज्ञान संदेश" के अंक 31 और 32, वर्ष 2019-20 के लिए है।
भारत सरकार, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3) की छमाही बैठक दिनांक 11.11.2020 में अप्रैल-सितंबर, 2020-21 छमाही की अवधि में कार्यालयी कार्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन का तृतीय पुरस्कार की शील्ड और प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा वर्ष 2019-20 के लिए क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कारों के अंतर्गत 50 से अधिक स्टाफ़ की संख्या वाले लगभग तीन हज़ार कार्यालयों में उत्तर -2 क्षेत्र (उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड) में "द्वितीय" पुरस्कार संस्थान को दिया गया ।
राजभाषा पत्रिका “विषविज्ञान संदेश”
संस्थान द्वारा जनसाधारण को वैज्ञानिक जानकारी पहुंचाने हेतु अधिक से अधिक सामग्री का हिंदी में प्रकाशन किया जा रहा है, जिनमें संस्थान की छमाही राजभाषा पत्रिका "विषविज्ञान संदेश" विशेष रूप से उल्लेखनीय है जिसका प्रकाशन वर्ष 1995 से निरंतर किया जा रहा है। पत्रिका को उच्च अधिकारियों/वैज्ञानिक संस्थानों/विश्वविद्यालयों आदि को निःशुल्क भेजा जाता है। इसमें मुख्यतः संस्थान के कार्यकलापों को प्रकाशित किया जाता है। इसमें 90% से अधिक शोधपत्र एवं वैज्ञानिक लेख होते हैं जो कि सरल, सहज एवं सुबोध हिंदी भाषा में होते हैं, जिससे जनसाधारण आसानी से इसका लाभ उठा सकते हैं। हिंदी पत्रिका "विषविज्ञान संदेश" के कई अंकों को प्रथम पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। यह पुरस्कार भारत सरकार, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय–3), लखनऊ द्वारा प्रदान किए गए हैं।
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वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2016-17 से संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन का हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा में अलग-अलग प्रकाशन किया जा रहा है। इसमें पर्यावरण विषविज्ञान; खाद्य, औषधि एवं रसायन विषविज्ञान; नैनोमटीरिअल विषविज्ञान; नियामक विषविज्ञान एवं प्रणाली विषविज्ञान तथा स्वास्थ्य जोखिम मूल्यांकन के क्षेत्र में संबंधित वर्ष में संस्थान द्वारा किए गए कार्यों की ज्ञानप्रद जानकारी एवं संस्थान के अन्य वैज्ञानिक और तकनीकी कार्यकलापों तथा आयोजनों आदि का उल्लेख होता है।
वार्षिक प्रतिवेदन के विभिन्न अंकों के लिए क्लिक करें हिन्दी में वार्षिक प्रतिवेदन Annual report in English
विषविज्ञान अनुसंधान पत्रिका
संस्थान लगातार पांच दशकों से भी अधिक समय से विषविज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत है एवं इसने मानव स्वास्थ्य के सुधार हेतु व्यवसायिक, औद्योगिक एवं पर्यावरण विषविज्ञान में अद्वितीय योगदान दिया है। विषविज्ञान अनुसंधान पत्रिका (टोक्सिकोलोजी रिसर्च बुलेटिन) में संस्थान के शोधपत्रों के सार (एब्स्ट्रैक्ट) एवं अनुसंधान संबंधी जानकारी का प्रकाशन किया जाता है। यह पत्रिका द्विभाषी है एवं संस्थान इस पत्रिका का ऑनलाइन प्रकाशन करता है।
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हिंदी पखवाड़ा - 2022
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थानन, लखनऊ में आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अंतर्गत दिनांक 29 सितंबर, 2022 को अप्राह्न 03:00 बजे हिंदी पखवाड़ा – 2022 के मुख्य समारोह/पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर वृषभ प्रसाद जैन थे। प्रोफेसर जैन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, प्रयागराज केंद्र के निदेशक हैं । मुख्य अतिथि महोदय ने अपने संबोधन में राजभाषा, राष्ट्रभाषा एवं संपर्क भाषा पर प्रकाश डाला । मुख्य अतिथि महोदय ने कहा कि अपनी भाषा में रचनात्मक कार्य करके, नए प्रतीक गढ़ के हम हिंदी को समृद्ध बना सकते हैं और हिंदी का विकास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें हिंदी को निरंतर समृद्ध करते रहना चाहिए। उन्होंने संस्थान में हिंदी भाषा में हो रहे कार्यों की प्रशंसा की। इससे पूर्व डॉ. नटेसन मणिक्कम, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और संस्थान के वैज्ञानिक कार्यों में हिंदी के उपयोग के बारे में बताया।
डॉ. भास्कर नारायण, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि संस्थान से प्रकाशित छमाही राजभाषा पत्रिका विषविज्ञान संदेश को 14.09.2021 को पहली बार राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘’राजभाषा कीर्ति पुरस्कार’’, वर्ष 2019 -20 हेतु प्राप्त हुआ है। इसी क्रम में संपूर्ण राजभाषा कार्यान्वयन हेतु संस्थान को क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कारों के अंतर्गत उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड स्थित सभी केंद्रीय सरकार के कार्यालयों में से वर्ष 2018-19 के लिए ‘तृतीय पुरस्कार’, वर्ष 2019-20 के लिए द्वितीय पुरस्कार और अभी दो दिन पूर्व घोषित हुए पुरस्कारों में से 2020-21 के लिए पहली बार प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। विज्ञान के राजभाषा क्षेत्र में हमारे नवीनतम प्रयास के अंतर्गत संस्थान के 4 शोध छात्रों ने अपनी थीसिस का सारांश हिंदी में लिखा है। ऐसा पहली बार हुआ है। विज्ञान में राजभाषा कार्यान्वयन का यह उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान में विभिन्न विषयों पर 1000 से अधिक हिंदी की पुस्तकें उपलब्ध हैं। हमारे संस्थान की वेबसाइट द्विभाषी है।
श्री चन्द्र मोहन तिवारी, हिंदी अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने सभा का स्वागत किया एवं हिंदी पखवाड़ा 14-29 सितंबर, 2022 के आयोजन के संबंध में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि हिंदी पखवाड़े के दौरान टिप्पण, मसौदा एवं पत्र लेखन, हिंदी टंकण, प्रश्नोत्तरी, वाद-विवाद, आशुभाषण, हिंदीतर भाषी का हिंदी ज्ञान, लेख, प्रस्तुतीकरण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें सभी ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। विजयी प्रतिभागियों को 28 पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त हिंदी में कार्य करने के लिए प्रोत्साहन योजना के अन्त्र्गत 10 पुरस्कार प्रदान किए गए।
श्री उत्तम कुमार झा, प्रशासनिक अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने कार्यालयी कार्यों में हिंदी के उपयोग हेतु संस्थान के कार्मिकों एवं छात्रों का उत्साहवर्धन किया और समारोह के अंत में धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
जनचेतना अभियान विवरणिकाएँ
प्रदर्शनी, मेलों आदि में आमजन हेतु उपयोगी एवं ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान करने हेतु अनेक हिंदी / द्विभाषी पोस्टर, लघु पुस्तकें एवं विवरणिकाएँ आदि (विशेषकर पर्यावरण संरक्षण, सुरक्षित पेयजल, प्लास्टिक उपयोग, पॉलीथिन बैग एवं सुरक्षित खाद्य सामग्री आदि के बारे में) संस्थान द्वारा निरंतर प्रकाशित की जा रहीं हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश एवं गुजरात की सरकार ने संस्थान द्वारा प्रकाशित विवरणिकाओं / लघु पुस्तकों की प्रशंसा की है।
माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, श्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने पत्र के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण, जल प्रदूषण, प्लास्टिक विषाक्तता के संबंध में जनजागरूकता के उद्देश्य से संस्थान द्वारा हिंदी में प्रकाशित विवरणिकाओं की काफी प्रशंसा किया है। उन्होंने अपने पत्र में यह विश्वास व्यक्त किया कि स्वच्छ व संतुलित पर्यावरण सृजित करने में आमजन को सहयोगी व सहभागी बनाने के उद्देश्य से प्रकाशित की गई विवरणिकाओं से इस सम्बन्ध में जागरूकता बढ़ेगी और सभी लाभान्वित होंगे। विवरणिकाओं की सफलता हेतु उन्होंने हार्दिक शुभकामनाएं भी व्यक्त किया है।
सीएसआईआर के महानिदेशक, डॉ. शेखर चि. मांडे ने अपने पत्र के माध्यम से खुशी व्यक्त की है कि संस्थान से प्रकाशित छमाही राजभाषा पत्रिका 'विषविज्ञान संदेश' को नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, लखनऊ द्वारा लगातार प्रथम पुरस्कार से सम्माानित किया गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि पत्रिका को संस्थान की वेबसाइट पर डिजिटल रूप में उपलब्ध कराना इस बात का द्योतक है कि संस्थान राजभाषा हिंदी के संवैधानिक दायित्वों के प्रति सजग है और उनका बखूबी निर्वहन भी कर रहा है। डॉ. मांडे ने आशा व्यक्त की कि संस्थान अपने ऐसे प्रयास आगे भी जारी रखेगा तथा राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार में इसी तरह श्रीवृद्धि करता रहेगा। उन्होंने पत्रिका से जुड़े सभी व्यक्तियों को बधाई दी तथा इसके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।
संस्थान से हिंदी में प्रकाशित जनजागरूकता विवरणिकाओं के संदर्भ में माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश का निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर को संबोधित पत्र
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राजभाषा के प्रचार-प्रसार के संदर्भ में महानिदेशक, सीएसआईआर का निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर को संबोधित पत्र
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नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ की छमाही बैठक
भारत सरकार, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के अंतर्गत नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ की छमाही बैठक वर्ष में दो बार अप्रैल-सितंबर और अक्टूबर-मार्च की अवधि हेतु आयोजित होती है। इसमें केंद्रीय सरकार के नगर स्थित कार्यालय सदस्य होते हैं। इन बैठकों में छमाही के दौरान सदस्य कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन में प्रगति की समीक्षा की जाती है और भविष्य की रूपरेखा एवं लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं। संबंधित नगर स्थित केंद्रीय सरकार के कार्यालयों में से जो वरिष्ठतम अधिकारी होते हैं, वे नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की अध्यक्षता करते हैं। संस्थान नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ के अंतर्गत आता है, जिसके अध्यक्ष, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ हैं। केंद्रीय सरकार के 67 कार्यालय इसके सदस्य हैं। यह छमाही बैठक भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में आयोजित होती है। 67 सदस्य कार्यालयों में से राजभाषा कार्यान्वयन के मूल्यांकन के आधार पर कार्यालयी कार्यों एवं पत्रिका प्रकाशन के लिए पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (कार्यालय-3), लखनऊ की छमाही ऑनलाइन बैठक दिनांक 30 जून, 2021 में संस्थान को हिंदी में कार्यालयी कार्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन का द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। संस्थान की ओर से प्रोफेसर एस. के. बारिक, निदेशक; श्री के.पी. शर्मा, प्रशासन नियंत्रक तथा श्री चन्द्र मोहन तिवारी, हिंदी अधिकारी ने इस ऑनलाइन बैठक में भाग लिया।
संस्थान में आयोजित संगोष्ठियाँ
संस्थान वैज्ञानिक कार्यक्षेत्र में राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग को उतरोत्तर बढ़ाने एवं सामान्य जन तक नवीनतम वैज्ञानिक एवं तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने हेतु समय-समय पर अनेक कार्य करता रहा है और इसी क्रम में संस्थान में निम्नलिखित वैज्ञानिक संगोष्ठियों का आयोजन भी किया गया:
- अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक हिंदी संगोष्ठी ‘‘स्वास्थ्य एवं पर्यावरण: वर्तमान चुनौतियां एवं भविष्य की संभावनाएं’’ 03-05 जून, 2024
- राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी "पेयजल: समस्या एवं निवारण", 18-19 जनवरी, 2021
- राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी "खाद्य सुरक्षा के विभिन्न आयाम", 23-24, अक्टूबर, 2019
- अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी "पर्यावरण प्रदूषण: चुनौतियाँ एवं रणनीतियाँ", 11-13 अक्टूबर, 2017
- राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी "पर्यावरण प्रदूषण: कारण एवं निवारण", 20–21 अक्टूबर, 2016
- अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी "पर्यावरण, स्वास्थ्य, जैव एवं सूचना प्रौद्योगिकी: नूतन सोपान" (हिमावैस-2005), 28 फरवरी - 02 मार्च, 2005
- "जैव प्रौद्योगिकी: पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य", 12-13 सितंबर, 2000
- राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी "पर्यावरण एवं स्वास्थ्य", 27-28 फरवरी, 1998
राजभाषा कार्यान्वयन समिति की तिमाही बैठक
राजभाषा संबंधी संवैधानिक उपबंध, राष्ट्रपति के आदेश, राजभाषा अधिनियम 1963 (यथा संशोधित 1967), राजभाषा संकल्प, राजभाषा नियम 1976 (यथा संशोधित 1987) एवं भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा जारी वार्षिक कार्यक्रम और मुख्यालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों, अनुदेशों, आदेशों के अनुसार राजभाषा का कार्य किया जाता है। प्रत्येक तिमाही में संस्थान की राजभाषा कार्यान्वयन की बैठक का नियमित आयोजन किया जाता है। संघ का राजकीय कार्य हिंदी में करने के लिए वार्षिक कार्यक्रम और बैठक में लिए गए निर्णयों का पूरी तरह से अनुपालन सुनिश्चित किया जाता है। अध्यक्ष एवं निदेशक, आईआईटीआर और समस्त सदस्य विगत तिमाही की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुपालन और अनुवर्ती कार्रवाई की समीक्षा करते हैं। साथ ही आने वाले समय में हिंदी के उत्तरोत्तर प्रयोग की कार्ययोजना पर भी चर्चा करते हैं। बैठक में समिति के सदस्य सचिव विगत तिमाही के दौरान किए गए कार्यों के आंकड़े प्रस्तुत करते हैं, जिन्हें मुख्यालय, राजभाषा विभाग के क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, नराकास (कार्यालय-3) को भी रिपोर्ट के माध्यम से साझा किया जाता है। इन्हीं आंकड़ों की छमाही रिपोर्ट के आधार पर नराकास द्वारा छमाही बैठक में पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
संस्थान में विज्ञान के क्षेत्र में हिंदी का उपयोग
- सभी प्रकार की वैज्ञानिक/तकनीकी संगोष्ठियों तथा परिचर्चाओं आदि में वैज्ञानिकों आदि को राजभाषा हिंदी में शोध पत्र पढ़ने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाता है। जो संस्थाान के शोध एवं मुख्य विषय से संबंधित होता है। हिंदी में वैज्ञानिक संगोष्ठियों का नियमित आयोजन किया जाता है, अब तक हिंदी में तीन राष्ट्रीय एवं दो अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठियाँ आयोजित की गई हैं।
- जनजागरण अभियान के अंतर्गत संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा नियमित रूप से हिंदी समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित किए जाते हैं। दूरदर्शन, दूरदर्शन किसान चैनल एवं निजी टेलेविजन चैनलों पर स्वास्थ्य, जल, वायु एवं पर्यावरण एवं अन्य वैज्ञानिक विषयों से संबंधित हिंदी भाषा में प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों में संस्थान की ओर से प्रतिभागिता की जाती है।
- इनके अतिरिक्त प्रदर्शनी, मेलों आदि में ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान करने हेतु अनेक हिंदी / द्विभाषी पोस्टर, लघु पुस्तकें आदि भी हिंदी में प्रकाशित की जा चुकी हैं।
संस्थान में प्रशासन एवं संबद्ध विभागों में हिंदी का उपयोग
- कम्यूटर, ई-मेल और वेबसाइट सहित उपलब्ध सूचना प्रौद्योगिकी सुविधाओं का अधिक से अधिक उपयोग करते हुए हिंदी में काम को बढ़ाया गया है। संस्थान में वैज्ञानिक, सूचना प्रौद्योगिकी तथा तकनीकी विषयों में हिंदी के प्रयोग को अधिक से अधिक किया जाता है। कम्यू्टर पर हिंदी प्रयोग के लिए केवल यूनिकोड इनकोडिंग का प्रयोग किया जाता है। संस्थान द्वारा राजभाषा से संबंधित सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के विकास पर विशेष ध्यान देते हुए शत-प्रतिशत कम्यूटरों में हिन्दी में काम करने की सुविधा विकसित की गई है।
- हिंदी भाषा, हिंदी टंकण/आशुलिपि संबंधी प्रशिक्षण कार्य पूरा है।
- संस्थान की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की तिमाही बैठक का नियमित आयोजन सुनिश्चित किया गया है। बैठक में लिए गए निर्णयों का पूरी तरह अनुपालन किया जाता है।
- अंतर मंत्रालयी/अंतर विभागीय पत्राचारों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों के साथ किए जाने वाले पत्राचारों में ई-मेल/इलेक्ट्रॉनिक संदेशों आदि में अधिक से अधिक हिंदी का प्रयोग सुनिश्चित किया जाता है।
- हिंदी के समाचार पत्रों में हिंदी में तथा अंग्रेजी समाचार पत्रों में अंग्रेजी में विज्ञापन दिए जाते हैं।
- राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3(3) के अंतर्गत सभी कागजात द्विभाषिक रूप में जारी किए जाते हैं।
- अधीनस्थ सेवाओं की भर्ती परीक्षाओं में अंग्रेजी के अनिवार्य प्रश्न पत्र को छोड़कर शेष विषयों के प्रश्न पत्रों के उत्तार हिंदी में भी देने की छूट दी जाती है और ऐसे प्रश्न पत्र द्विभाषी रूप से हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उपलब्ध कराए जाते हैं। साक्षात्कार में भी वार्तालाप में हिंदी माध्यम की उपलब्धता अनिवार्य रूप से रहती है। सभी सेवाकालीन विभागीय तथा पदोन्निति परीक्षाओं में (अखिल भारतीय स्तर की परीक्षाओं सहित) अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्रों के उत्तर हिंदी में भी देने की छूट दी जाती है। प्रश्न पत्र अनिवार्यत: दोनों भाषाओं (हिंदी और अंग्रेजी) में तैयार किये जाते हैं।
- राजभाषा नियम, 1976 के नियम 10(4) के कार्यालय अधिसूचित है एवं नियम 8(4) के अंतर्गत सभी प्रवीणता प्राप्त कर्मियों को हिंदी में कार्य करने हेतु निदेशक महोदय की ओर से व्यक्तिश: आदेश जारी किया गया है।
- संस्थान में सभी लेखन सामग्री, नाम पट्ट, सूचना पट्ट, फार्म प्रक्रिया संबंधी साहित्य , रबड़ की मोहरें, निमंत्रण पत्र आदि अनिवार्य रूप से हिंदी-अंग्रेजी में बनवाए जाते हैं।
- अनुवाद कार्य तथा राजभाषा नीति के कार्यान्वयन से जुड़े सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो से अनिवार्य अनुवाद प्रशिक्षण प्राप्त है। अनुवादकों को सहायक साहित्य, मानक शब्दकोश (अंग्रेजी-हिंदी व हिंदी-अंग्रेजी) तथा अन्य तकनीकी शब्दावलियां उपलब्ध कराया गया है, ताकि वे अनुवाद कार्य में इनका उपयोग कर सकें।
- संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपने सरकारी कामकाज में अधिक से अधिक हिंदी का प्रयोग किया जाता है।
- संस्थान द्वारा हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए चलाई गई विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं को लागू किया गया है इसमें अधिक से अधिक अधिकारी/कर्मचारी इन योजनाओं का लाभ उठाते हैं। फलस्वरूप सरकारी कामकाज में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में होता है।
- हिंदी में कार्य करने में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए नियमित कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं जिनमें संबंधित विषयों पर हिंदी में कार्य करने का अभ्यास करवाया जाता है। हिंदी कार्यशालाओं में हिंदी लेखन अभ्यास पर बल दिया जाता है तथा यूनिकोड इनकोडिंग, ई-मेल, डिक्टेशन का उपयोग करना भी सिखाया जाता है। हिंदी में विज्ञान एवं स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों का व्याख्यान नियमित रूप से आयोजित किया जाता है।
- नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों की छमाही बैठकों में संस्थान के निदेशक अनिवार्य रूप से भाग लेते हैं।
- कार्यालय-प्रमुख कामकाज में मूल रूप से हिंदी का उपयोग करते हैं।
- संस्थान की वेबसाइट सम्पूर्ण रूप से हिंदी में विकसित है।
- भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग को नियमित रूप से जून, 2012 से ऑनलाइन रिपोर्ट समय से भेजी जाती है।
- पुस्तकालय में कुल 866 हिंदी की पुस्तकें हैं।
- संस्थान में प्रत्येक वर्ष 14 से 20 सितंबर के दौरान हिंदी सप्ताह मनाया जाता है। सप्ताह के अंतर्गत, हिंदीतर भाषी का हिंदी ज्ञान, लेख, वाद-विवाद, आशुभाषण, अनुवाद, प्रस्तुतीकरण, स्लोगन, कविता/ कहानी की रचना एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।
- संस्थान की फेसबुक, ट्विटर एवं यूट्यूब पर भी उपलब्धता है।
- इंट्रानेट पर सभी फॉर्म द्विभाषी रूप में उपलब्ध हैं।
राजभाषा की पृष्ठभूमि
संविधान के लागू होने के साथ-साथ 26 जनवरी, 1950 से संविधान की धारा 343 के अनुसार हिंदी भारत संघ की राजभाषा बनी। धारा 351 में भारत सरकार को यह कर्तव्य सौंपा गया कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए और उसका विकास करे, ताकि हिंदी भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके। यह स्वाभाविक था कि भारत सरकार के कामों में बहुत पहले से इस्तेमाल की जा रही भाषा के स्थान पर हिंदी भाषा के प्रयोग के लिये निरन्तर प्रयास किए जाएं और सरकारी कामों में उसका इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए लगातार आदेश भी जारी किए जाएं। तदनुसार राष्ट्र्पति जी ने सन् 1952 में कुछ कामों में हिंदी के इस्तेमाल के लिए आदेश जारी किए। फिर 1955 में कई आदेश जारी किए गए। 27 अप्रैल, 1960 को राष्ट्रपति जी ने अधिसूचना संख्या 2/8/60-रा0भा0 द्वारा विस्तृ्त आदेश जारी किए। इसके पश्चात् राजभाषा अधिनियम 1963 बना और 1967 में उसका संशोधन भी हुआ। इस बीच गृह मंत्रालय की ओर से राजभाषा हिंदी के प्रयोग के लिए लगातार आदेश जारी होते रहे। गृह मंत्रालय में राजभाषा विभाग बन जाने के पश्चात् नियम 1976 बने और सभी क्षेत्रों में देश की राजभाषा हिंदी को लागू करने के लिए उत्पन्न हुई भावना के अनुकूल सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग होने भी लगा जो निरंतर बढ़ रहा है।