सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ और नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कार्यालय-3, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी, ''पर्यावरण प्रदूषण: चुनौतियाँ एवं रणनीतियाँ” (11-13 अक्टूाबर, 2017) का सीएसआईआर-आईआईटीआर में मुख्य अतिथि, प्रोफेसर मदन लाल ब्रह्म भट्ट, कुलपति, किंग जॉर्ज चिकित्सा् विश्वविद्यालय, लखनऊ ने उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि, प्रोफेसर मदन लाल ब्रह्म भट्ट, ने अपने संबोधन में कहा कि आज स्वास्थ्य सर्वाधिक सार्थक विषय है। यह गौरव की बात है कि हम इस संगोष्ठी में पर्यावरण संरक्षण पर विचार मंथन कर रहे हैं। मनुष्य की जीवन शैली ही प्रदूषण का मुख्य कारण है। हमें ऐसी जीवन शैली अपनानी चाहिए जिससे प्रदूषण न हो । फसलों के अवशेष जलाए नहीं जाएं। घरों के अंदर प्रदूषण कम करने के हर संभव उपाए किए जाएं। घरों का हवादार होना आवश्यक है। राज मार्गों के किनारे आवासीय कालोनी नहीं बनाई जाएँ। शहरों में बड़े–बड़े पार्क बनाए जाएं, यह स्वास्थ्य के लिए हितकर है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी बढ़ती समस्याओं को रोका जा सके। पश्चिमी देशों में औसत आयु 80 से 85 वर्ष है परंतु हमारे देश में लगभग 70 से 75 वर्ष है। 1901 और 1947 के आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में औसत आयु कम थी परंतु चिकित्सीय सुविधाओं में सुधार के कारण अब हमारे देश में भी औसत आयु में बढ़ोत्तरी हुई है।
डॉ. अश्विनी दत्त पाठक, अध्य्क्ष, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कार्यालय-3, लखनऊ एवं निदेशक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने अपने संबोधन में कहा कि पहले प्राकृतिक रूप से कृषि होती थी परंतु उत्पादन बढ़ाने हेतु अनेक रासायनिक खादों का अधिक उपयोग होने लगा, इससे उत्पादन तो बढ़ा लेकिन पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसी अनेक समस्याएँ सामने आने लगीं। आज फिर प्राकृतिक रूप से फसलें उगाने की आवश्यकता है, जिससे ऐसी समस्याएँ उत्पन्न न हों। इस संगोष्ठी में जो चर्चा होने जा रही है, वह मानव हित में बहुत उपयोगी होगी।
इस संगोष्ठी में सीएसआईआर की विभिन्न प्रयोगशालाओं सहित अनुसंधान और विकास संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं देश - विदेश से 100 से अधिक वैज्ञानिक-गण, शोध छात्र ने प्रतिभागिता कर अपना शोध पत्र / लेख प्रस्तुत किया। वैज्ञानिकों एवं शोध छात्रों के बीच संगोष्ठी के विषय पर व्यापक चर्चा से पर्यावरण प्रबंधन हेतु उपयोगी नवीन विचार प्राप्त हुए। हिंदी भाषा माध्यम की इस संगोष्ठी से पर्यावरण संरक्षण की जानकारी को आम आदमी तक पहुंचाने के लिए एक सशक्त प्रयास किया गया।
प्रोफेसर आलोक धावन, संरक्षक, संगोष्ठी एवं निदेशक सीएसआईआर-आईआईटीआर ने कहा कि प्रदूषण न हो यह अच्छी बात है, यदि हो गया तो कैसे दूर करें यह चिंता की बात है। पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, इसकी जानकारी लगभग सभी को है, परंतु प्रदूषण को कैसे दूर किया जाए, यही विचार करना है। शहरों में वाहन कम कर दिए जाएं या बंद कर दिए जाएं, कारखाने बंद कर दिए जाएं, इससे काम नहीं होगा। प्रदूषण दूर करने हेतु वैज्ञानिक समाधान ढूँढना होगा। इस चुनौती को वैज्ञानिकों के सामने रखकर इसका स्थायी समाधान खोजना होगा। अमरीका में कचरे से एनर्जी बनाई जा रही है, ऐसे ही समाधान खोजने होंगे। इस संगोष्ठी के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की जानकारी आम आदमी तक पहुंचाने के लिए एक सशक्त प्रयास किया जा रहा है।