अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2022
सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में में 21 फरवरी, 2022 को "अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस" का ऑनलाइन आयोजन किया गया। यह समारोह "आजादी का अमृत महोत्सव" के कार्यक्रमों की श्रृंखला में आयोजित किया गया था। डॉ. ए.डी. पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ समारोह के मुख्य अतिथि थे और प्रोफेसर एस.के. बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने समारोह की अध्यक्षता की। श्री चन्द्र मोहन तिवारी, हिंदी अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने सभी का स्वागत किया और डॉ. एन. मणिक्कम, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया।
डॉ. ए.डी. पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, मुख्य अतिथि ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मातृभाषा का बहुत महत्व है। सुख–दुख में सबसे पहले मातृभाषा ही मुख से निकलती है। जो ज्ञान मातृभाषा में याद हो वह कभी भूलता नहीं है। मातृभाषा में सीखे ज्ञान को किसी भी भाषा में सरलता से व्यक्त किया जा सकता है। जिस भाषा में हम पलते बढ़ते हैं उसमें किसी भी ज्ञान को समझना बहुत आसान होता है।
प्रोफेसर एस.के. बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि हम सबसे पहले मातृभाषा में ही सीखते हैं। मातृभाषा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, इसका संरक्षण बहुत आवश्यक है। ऐसी व्यवस्था होना चाहिए जिससे लोग मातृभाषा में पढ़कर भी वैज्ञानिक बन सकें, उच्च ज्ञान प्राप्त कर सकें। मातृभाषा में सीखना बहुत आसान होता है। सभी को अपनी मातृभाषा को याद रखना चाहिए। सभी भाषाओं में विद्वान होते हैं। सभी भाषाओं के संरक्षण एवं विकास की आवश्यकता है। वैज्ञानिक जानकारी का सभी भाषाओं में रूपांतर होना चाहिए जिससे सभी लोग समझ सकें।समारोह के अंत में श्रीमती अनीता सिंह, प्रशासन नियंत्रक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।