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कार्यक्रम

हिंदी सप्ताह - 2022

सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थानन, लखनऊ में आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अंतर्गत दिनांक 29 सितंबर, 2022 को अप्राह्न 03:00 बजे हिंदी पखवाड़ा – 2022 के मुख्य समारोह/पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर वृषभ प्रसाद जैन थे। प्रोफेसर जैन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, प्रयागराज केंद्र के निदेशक हैं । मुख्य अतिथि महोदय ने अपने संबोधन में राजभाषा, राष्ट्रभाषा एवं संपर्क भाषा पर प्रकाश डाला । मुख्य अतिथि महोदय ने कहा कि अपनी भाषा में रचनात्मक कार्य करके, नए प्रतीक गढ़ के हम हिंदी को समृद्ध बना सकते हैं और हिंदी का विकास कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें हिंदी को निरंतर समृद्ध करते रहना चाहिए। उन्होंने संस्थान में हिंदी भाषा में हो रहे कार्यों की प्रशंसा की। इससे पूर्व डॉ. नटेसन मणिक्कम, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और संस्थान के वैज्ञानिक कार्यों में हिंदी के उपयोग के बारे में बताया।

डॉ. भास्कर नारायण, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि संस्थान से प्रकाशित छमाही राजभाषा पत्रिका विषविज्ञान संदेश को 14.09.2021 को पहली बार राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘’राजभाषा कीर्ति पुरस्कार’’, वर्ष 2019 -20 हेतु प्राप्त हुआ है। इसी क्रम में संपूर्ण राजभाषा कार्यान्वयन हेतु संस्थान को क्षेत्रीय राजभाषा पुरस्कारों के अंतर्गत उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड स्थि‍त सभी केंद्रीय सरकार के कार्यालयों में से वर्ष 2018-19 के लिए ‘तृतीय पुरस्कार’, वर्ष 2019-20 के लिए द्वितीय पुरस्कार और अभी दो दिन पूर्व घोषित हुए पुरस्कारों में से 2020-21 के लिए पहली बार प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। विज्ञान के राजभाषा क्षेत्र में हमारे नवीनतम प्रयास के अंतर्गत संस्थान के 4 शोध छात्रों ने अपनी थीसिस का सारांश हिंदी में लिखा है। ऐसा पहली बार हुआ है। विज्ञान में राजभाषा कार्यान्वयन का यह उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हमारे संस्थान में विभिन्न विषयों पर 1000 से अधिक हिंदी की पुस्तकें उपलब्ध हैं। हमारे संस्थान की वेबसाइट द्विभाषी है।

श्री चन्द्र मोहन तिवारी, हिंदी अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने सभा का स्वागत किया एवं हिंदी पखवाड़ा 14-29 सितंबर, 2022 के आयोजन के संबंध में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि हिंदी पखवाड़े के दौरान टिप्पण, मसौदा एवं पत्र लेखन, हिंदी टंकण, प्रश्नोत्तरी, वाद-विवाद, आशुभाषण, हिंदीतर भाषी का हिंदी ज्ञान, लेख, प्रस्तुतीकरण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें सभी ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। विजयी प्रतिभागियों को 28 पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त हिंदी में कार्य करने के लिए प्रोत्साहन योजना के अन्त्र्गत 10 पुरस्कार प्रदान किए गए।

श्री उत्तम कुमार झा, प्रशासनिक अधिकारी, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।

सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान में प्रत्येक वर्ष 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है । यह हमारे अस्तित्व में पर्यावरण द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका की अब तक की सबसे बड़ी स्वीकृति है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा वर्ष 1973 में पर्यावरण दिवस प्रारंभ किया गया था तथा तब से यह 05 जून को प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है और  इस प्रकार वर्ष 2022 एक ऐतिहासिक वर्ष बन गया । 1972 में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के 2022 में 50 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इस सम्मेलन को विश्व स्तर पर पर्यावरण पर पहली अंतर्राष्ट्रीय बैठक माना जाता है।

वर्ष 2022 में विश्व पर्यावरण दिवस का थीम "केवल एक पृथ्वी" ("ओनली वन अर्थ") है। इसमें "प्रकृति के साथ सद्भाव एवं संधारणीय रूप से रहना" पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ में विश्व पर्यावरण दिवस समारोह  दो दिन (04 एवं 05 जून, 2022)  तक मानया जाएगा।

प्रोफेसर रूप लाल, एक प्रसिद्ध आणविक जीवविज्ञानी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक एनएएसआई, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई), दिल्ली, प्लेटिनम जुबली फेलो ने सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ  में 04 जून, 2022 को 26वाँ “डॉ. सी. आर. कृष्णमूर्ति स्मृति व्याख्यान” देते हुए इस तथ्य पर बल दिया कि माइक्रोबायोम विज्ञान का ज्ञान मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को संभालने में श्रेष्ठतर मार्गदर्शन कर सकता है। उन्होंने कहा कि माइक्रोबायोम के  अध्ययन के अतिरिक्त, विशेष रूप से इक्स्ट्रीम इन्वाइरोंमेंट से माइक्रोबियल पॉप्युलेशन्स, पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के प्रयासों में सहायता कर सकती है।

प्रोफेसर एस. के. बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन में  सीएसआईआर-आईआईटीआर द्वारा पर्यावरण हेतु किए गए योगदान पर प्रकाश डाला। अपने विचार को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखना हमारा सामूहिक दायित्व है।

इस अवसर पर, सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ और  कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईपीएफटी), गुरुग्राम के मध्य सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए। सहमति ज्ञापन पर डॉ. एस.के. बारिक, निदेशक, सीएसआईआर- आईआईटीआर और आईपीएफटी के निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार ने हस्ताक्षर किए। एमओयू के अंतर्गत दोनों संस्थान नए नैनोएग्रोकेमिकल्स विकसित करने एवं उनकी विषाक्तता/सुरक्षा का आकलन करने हेतु दोनों संस्थानों में विद्यमान सुविधाओं एवं उपलब्ध विशेषज्ञता को एक-दूसरे को साझा करने हेतु सहमत हुए हैं। डॉ. जितेंद्र कुमार ने आईपीएफटी की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की।  डॉ. एस.के. बारिक ने बताया कि समझौता ज्ञापन आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।

आयोजन के दौरान संस्थान ने लखनऊ शहर की परिवेशी वायु गुणवत्ता के प्री-मानसून आकलन पर वार्षिक रिपोर्ट भी जारी की। समारोह के भाग के रूप में  सप्ताह के पूर्व  में  सीएसआईआर  कार्मिकों के बच्चों के मध्य एक पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर प्रतियोगिता के पुरस्कार विजेताओं की घोषणा भी की गई। डॉ. एन. मणीक्कम, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने डॉ. सी.आर. कृष्णमूर्ति स्मृति व्याख्यान की उत्पत्ति के बारे में सभा को अवगत कराया और मुख्य अतिथि का परिचय दिया। इं. ए.एच. खान, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

देश के प्रमुख विषविज्ञान संस्थान  सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान में 04 नवंबर, 2022 को 58 वां स्थापना दिवस मनाया गया। संस्थान प्रत्येक वर्ष स्थापना दिवस समारोह के एक भाग के रूप में  प्रोफेसर सिब्ते हसन ज़ैदी स्मृति व्याख्यान का आयोजन करता है। इस वर्ष इसी श्रंखला में 26वां व्याख्यान डॉ. देबब्रत कानूनगो, एमडी, एफसीजीपी, पूर्व उप महानिदेशक, स्वास्थ्य  एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिया गया। डॉ. कानूनगो ने   इम्पोरर्टेन्सा ऑफ ह्युमन हेल्थग एनालिसिस ऑफ केमिकल्सा एंड एप्‍लीकेशन इन रेग्युिलेटरी  डिसीजन्स विषय पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार विश्व भर में होने वाली बीमारियों में  लगभग 25 प्रतिशत बीमारी पर्यावरणीय कारकों एवं जहरीले रसायनों के संपर्क में आने के कारण हैं। उन्होंने कहा कि जोखिम मूल्यांकन औद्योगिक रसायनों, कृषि रसायनों, फार्मास्यूटिकल्स, कॉस्मेटिक आदि के लिए नियामक निर्णयों हेतु आधार तैयार करते हैं। 

प्रोफेसर सिब्ते हसन ज़ैदी स्मृति व्याख्यान के उपरांत स्थापना दिवस कार्यक्रम हुआ। इसमें संस्थान के कई पूर्व निदेशकों एवं वैज्ञानिकों ने भाग लिया। डॉ. भास्कर नारायण,  निदेशक,  सीएसआईआर-आईआईटीआर ने गणमान्य अतिथिगण का स्वागत किया एवं संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत किया। समारोह के मुख्य अतिथि  श्री अरुण सिंघल, आईएएस, सचिव, उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार ने इस अवसर पर एक वीडियो संदेश के माध्यम से अपनी शुभकामनाएं प्रस्तुत करते हुए  कहा कि प्रकृति से विज्ञान कभी संतुष्ट नहीं होता है एवं  सदैव  अपनी  सीमाओं को पार करने हेतु प्रयासरत रहता है और इस प्रकार विज्ञान आज मानव जाति के सामने आने वाली अधिकांश चुनौतियों का समाधान प्रदाता है। श्री सिंघल अनिवार्य कार्यों के कारण समारोह में उपस्थित नहीं हो सके।

स्थापना दिवस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री एन वेंकटेश्वरन, सीईओ, एनएबीएल ने कहा कि किसी भी संस्थान का स्थापना दिवस उपलब्धियों का जश्न मनाने एवं  भविष्य का मार्ग तय करने हेतु आत्मनिरीक्षण करने का सही समय होता है। उन्होंने आईआईटीआर परिवार से आग्रह किया कि वह कुछ पल सोचें कि सामाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आगे क्या कार्य किए जा सकते हैं।

इसी प्रकार के विचार  व्यक्त करते हुए विशिष्ट  अतिथि,  डॉ. देबब्रत कानूनगो एमडी, एफसीजीपी, ने संस्थान के वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे समकालीन आवश्यकताओं को हल करने के अनुरूप अपने शोध लक्ष्य निर्धारित करें।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए, डॉ. एन. भास्कर, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने गणमान्य अतिथिगण को आश्वासन दिया कि सीएसआईआर-आईआईटीआर विकास हेतु अनुसंधान एवं विकास, प्रदर्शन, प्रसार तथा डिजिटलीकरण हेतु अनुसंधान कार्य में  स्वयं को पुनः समर्पित करेगा।

आयोजन के दौरान संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट के साथ-साथ मानसून के बाद पर्यावरण सर्वेक्षण रिपोर्ट और संस्थान के अन्य प्रकाशनों का विमोचन किया गया।

डॉ. योगेश्वर शुक्ला, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने गणमान्य अतिथिगण का परिचय दिया एवं डॉ. संदीप शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की स्थापना सितंबर 1942 में हुई थी। यह  विविध विज्ञान एवं  प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अपने अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास ज्ञान आधार हेतु संपूर्ण विश्व में जाना जाता है। सीएसआईआर की देश भर में 39 प्रयोगशालाएं हैं। यह  देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास संगठन है।  इसके पास विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के व्यापक क्षेत्र : रेडियो एवं अंतरिक्ष भौतिकी, समुद्र विज्ञान, भूभौतिकी, रसायन, औषधि, जीनोमिक्स, जैवप्रौद्योगिकी तथा नैनोप्रौद्योगिकी से लेकर खनन, वैमानिकी, इंस्ट्रूमेंटेशन, पर्यावरण इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी तक को कवर  करने की विशेषज्ञता है । सीएसआईआर विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकीय कार्य एवं सहायता प्रदान करता है, जिसमें पर्यावरण, स्वास्थ्य, पेयजल, भोजन, आवास, ऊर्जा, कृषि एवं  गैर-कृषि क्षेत्र आदि सम्मिलित हैं।

सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ में  28 सितंबर 2022 को सीएसआईआर का 81वां स्थापना दिवस मनाया गया।

प्रोफेसर एन. मणिक्कम, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने सभा का स्वागत करते हुए कहा कि किसी भी संगठन का स्थापना दिवस भविष्य के लिए रणनीति बनाने का भी सही समय होता है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर नवाचारों में सबसे आगे रहा है एवं इसने वर्तमान समय की अपेक्षाओं  के अनुकूल स्वयं को उपयुक्त रूप से रूपांतरित किया है।

समारोह के सम्मानीय अतिथि, प्रोफेसर एस. के. बारिक, निदेशक सीएसआईआर - राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ने सीएसआईआर के बारे में अपने विचार साझा किए और कहा कि एक संगठन के जीवन में 80 वर्ष बहुत अधिक होते हैं। यह वास्तव में जश्न मनाने एवं प्रसन्न होने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद, निदेशक, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ ने सीएसआईआर स्थापना दिवस व्याख्यान, विषय - “मेरी वैज्ञानिक यात्रा को प्रेरित करने में सीएसआईआर की भूमिका” के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने व्याख्यान देते हुए वर्तमान समय की चिकित्सा चुनौतियों से निपटने में स्टेम सेल अनुसंधान की भूमिका का वर्णन किया। उन्होंने यह भी कहा कि भ्रूण एवं मेसेनकाइमल स्टेम सेल, दोनों के विभिन्न चिकित्सीय अनुप्रयोग उन्हें चिकित्सा से संबंधित लोगों को एक आशाजनक विकल्प उपलब्ध कराते हैं।

डॉ. भास्कर नारायण, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में सुझाव दिया कि विज्ञान के प्रति एक उत्साही के रूप में, किसी को भी "लर्न टू अनलर्न टू रीलर्न" की अवधारणा हेतु हमेशा खुला रहना चाहिए। उन्होंने शहर के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के बीच सहयोग की प्रासंगिकता पर भी बल दिया। डॉ. नारायण ने सीएसआईआर-आईआईटीआर द्वारा पूर्व में किए गए महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास योगदान की प्रशंसा करते हुए आशा व्यक्त की कि संस्थान समाज हेतु और अधिक सार्थक तरीकों से योगदान करना जारी रखेगा। डॉ. भास्कर नारायण ने कामना की कि सीएसआईआर-आईआईटीआर के कार्मिक एवं शोध छात्र जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रसन्न, स्वस्थ एवं  रचना करने वाले बने रहें।

इस अवसर पर आगंतुकों के आने एवं वैज्ञानिक समुदाय के साथ बातचीत करने के लिए संस्थान को खुला रखा गया था। स्थानीय स्कूलों तथा कॉलेजों के लगभग 100 छात्रों को संस्थान में आमंत्रित किया गया था। 23 सितंबर, 2022 को सीएसआईआर कर्मचारियों के बच्चों हेतु एक निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता हेतु समारोह के दौरान बच्चों को पुरस्कार प्रदान किए गए। समारोह के दौरान संस्थान ने परिषद की 25 वर्ष सेवा पूर्ण करने वाले अपने कार्मिकों एवं  पिछले वर्ष के दौरान सेवानिवृत्त हुए कार्मिकों को भी मान्यता प्रदान की और उन्हें सम्मानित किया गया।

संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आलोक कुमार पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया।


विज्ञान के महत्व को दोहराने एवं हमारे दैनिक जीवन में प्रौद्योगिकी के लाभों को स्वीकार करने हेतु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 11 मई को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। यह दिवस ऑपरेशन शक्ति, 11 मई, 1998 को हुए पोखरण परमाणु परीक्षण की भी यादें ताज़ा करता है, जिससे भारत एक पूर्ण परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित हुआ। इस वर्ष के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का विषय (थीम) "सतत भविष्य हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण" है।

सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ में प्रौद्योगिकी दिवस को ओपन डे के रूप में मनाया गया। इस दिन स्कूल और कॉलेज के छात्रों के भ्रमण करने के लिए एवं वैज्ञानिकों से बातचीत करने हेतु संस्थान खुला रहा। एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ के लगभग 25  छात्र  संस्थान में आए और प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया तथा संस्थान में हो रहे अत्याधुनिक अनुसंधान का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त किया। छात्रों ने संस्थान में कार्यरत वैज्ञानिकों से बातचीत भी किया। संस्थान में आयोजित प्रौद्योगिकी दिवस समारोह में प्रोफेसर राणा कृष्ण पाल सिंह, कुलपति, डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ ने  'प्रौद्योगिकी दिवस व्याख्यान' दिया। प्रोफेसर कृष्ण पाल सिंह ने अपने व्याख्यान में श्रोताओं को प्रोत्साहित किया कि वे जो कुछ भी करते हैं उसमें सदैव संधारणीयता सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण सुनिश्चित करना एवं वृक्षारोपण बढ़ाने में योगदान देना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

प्रोफेसर एस.के. बारिक, निदेशक सीएसआईआर-आईआईटीआर ने सभा का स्वागत करते हुए  स्वच्छ पर्यावरण एवं जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण और सुरक्षित/स्वच्छ भोजन के क्षेत्रों में संस्थान के योगदान को दोहराया। उन्होंने कहा कि ये तीनों जीवन के अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और संस्थान उत्कृष्टता की दिशा में अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ेगा।

सीएसआईआर-आईआईटीआर बाइरैक-बायोनेस्टत केंद्र (बीआईआरएसी-बीआईओएनईएसटी सेंटर) में इनक्यूबेटियों के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी हुए जो कि समारोह का मुख्य आकर्षण रहा। सीएसआईआर-आईआईटीआर ने लखनऊ क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विकास को तेज करने, स्टार्टअप को समर्थन देने एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु बाइरैक द्वारा समर्थित बायोनेस्ट केंद्र की स्थापना की है। यह सीएसआईआर में पहली और उत्तर प्रदेश राज्य में सबसे बड़ी बायोनेस्ट सुविधा है। इस अवसर पर सीएसआईआर-आईआईटीआर और चार कंपनियों: मेसर्स नेक्सटेक लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स पाइकेम केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ड्यूरोमैक्स हाईटेक कोटिंग्स एवं मेसर्स बायोडायमेंशन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के बीच सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। डॉ. आर पार्थासारथी, नोडल वैज्ञानिक, बायोनेस्ट ने सीएसआईआर-आईआईटीआर के सहयोग से इनक्यूबेटियों द्वारा विकसित की जाने वाली प्रौद्योगिकियों का संक्षेप में उल्लेख किया। डॉ. के.सी. खुल्बे, प्रमुख, आरपीबीडी ने सहमति ज्ञापन तैयार करने और विनिमय कार्यक्रम हेतु सुविधा प्रदान की। डॉ. एन. मणीक्कम, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और डॉ. वी.पी. शर्मा, मुख्य वैज्ञानिक सीएसआईआर-आईआईटीआर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस तथ्य को व्यापक रूप से इसे स्वीकार किया जाता है कि वैज्ञानिक अनुसंधान मानव बुद्धि के सर्वोत्तम परिणामों में से एक है और मानव प्रगति हेतु मौलिक है। यद्यपि, प्रकृति, ब्रह्मांड एवं इस लक्ष्य को सम्मिलित करने वाले सभी प्रकार के पदार्थों के बीच संतुलन बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की क्षति, प्रदूषण तथा गरीबी दूर करना जैसी जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए विज्ञान महत्वपूर्ण है। इन्हीं तथ्यों पर पुनः बल देने हेतु, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2022 का विषय 'संधारणीय भविष्य हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण' है

सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ में दिनांक 28-02-2022 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2022 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. बिनीता फरटियाल, बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान (बीएसआईपी), लखनऊ ने "भारत का शीत शुष्क रेगिस्तान–लद्दाख: अवसर, विज्ञान एवं  चुनौतियाँ" विषय पर लोकप्रिय व्याख्यान दिया। उन्होंने उस भूमिका को दोहराया जो कि विभिन्न पारिस्थितिक क्षेत्र सतत विकास में निभाते हैं। उन्होंने लद्दाख क्षेत्र में परम भौगोलिक विशेषताओं की खोज हेतु निहित चुनौतियों का वर्णन करते हुए श्रोताओं के रूप में उपस्थित वैज्ञानिकों, रिसर्च स्कॉलर्स और छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि विशाल शुष्क ठंडे रेगिस्तान में अभी तक अनेक अनन्वेषित क्षेत्र हैं तथा यह प्रत्येक भूवैज्ञानिक शोधकर्ता का वैज्ञानिक गंतव्य हेतु सपना है।

इससे पूर्व, प्रोफेसर एस.के. बारिक, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने सभा का स्वागत करते हुए, कहा कि "रमन प्रभाव" की खोज का जश्न मनाने हेतु प्रसिद्ध भारतीय भौतिक विज्ञानी-सर चंद्र शेखर वेंकट रमन को याद करना तथा सम्मान देना वैज्ञानिक समुदाय हेतु अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि रमन प्रभाव-प्रकाश के प्रकीर्णन का वर्णन करता है। सर वेंकट रमन ने 1928 में इसकी खोज की और इस हेतु उन्हें 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। प्रोफेसर बारिक ने राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप विभिन्न अत्याधुनिक अनुसंधान गतिविधियों में सीएसआईआर-आईआईटीआर की भागीदारी का भी वर्णन किया ।

इससे पूर्व  डॉ. एन. मणिक्कम, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने वक्ता का परिचय दिया। डॉ. वी.पी. शर्मा, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।